मांगिए सूचना... पर कैसे यह जान लीजिए...
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) भारत के नागरिकों को सरकारी कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने का एक शक्तिशाली औजार देता है।
RTI Act को समझना आपके जैसे कर्मठ सामाजिक कार्यकर्ताओं और जागरूक नागरिकों के लिए बेहद ज़रूरी है।
आइए RTI Act के मुख्य दांव-पेंच को बिंदुवार समझते हैं:
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के प्रमुख विषय समझते है ।
1. सूचना का अधिकार (धारा 3)
- प्रत्येक भारतीय नागरिक को किसी भी सार्वजनिक प्राधिकरण से सूचना मांगने का अधिकार है।
2. लोक प्राधिकरणों की जिम्मेदारी (धारा 4)
- रिकॉर्ड को व्यवस्थित और कम्प्यूटरीकृत करना
- संगठन की संरचना, कार्य, निर्णय प्रक्रिया आदि की जानकारी प्रकाशित करना।
- प्रशासनिक निर्णयों के कारण बताना।
3. लोक सूचना अधिकारी की नियुक्ति (धारा 5)
- हर विभाग में केंद्रीय/राज्य लोक सूचना अधिकारी (PIO) और सहायक PIO नियुक्त किए जाते हैं।
4. सूचना मांगने की प्रक्रिया (धारा 6)
- आवेदन लिखित, मौखिक या इलेक्ट्रॉनिक रूप में किया जा सकता है।
- आवेदक को कारण बताने की आवश्यकता नहीं होती।
5. सूचना प्रदान करने की समयसीमा (धारा 7)
- सामान्य मामलों में 30 दिन के भीतर जानकारी मिलती है।
- जीवन या स्वतंत्रता से संबंधित मामलों में 48 घंटे के भीतर।
6. सूचना देने से छूट (धारा 8)
- राष्ट्रीय सुरक्षा, गोपनीयता, वाणिज्यिक हित, व्यक्तिगत जानकारी आदि के आधार पर सूचना रोकी जा सकती है।
- लेकिन यदि सार्वजनिक हित अधिक महत्वपूर्ण हो, तो सूचना दी जा सकती है।
7. कॉपीराइट और अस्वीकृति (धारा 9)
- यदि मांगी गई सूचना कॉपीराइट का उल्लंघन करती है, तो उसे अस्वीकार किया जा सकता है।
8. तृतीय पक्ष की सूचना (धारा 11)
- यदि सूचना किसी तीसरे पक्ष से संबंधित है, तो उसकी सहमति आवश्यक हो तो नियमतः ली जा सकती है।
9. सूचना आयोगों का गठन (धारा 12-15)
- केंद्रीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोग बनाए जाते हैं।
- इनमें मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त नियुक्त होते हैं।
10. अपील और शिकायत (धारा 19)
- प्रथम अपील संबंधित वरिष्ठ अधिकारी के पास
- द्वितीय अपील सूचना आयोग के पास।
11. दंड का प्रावधान (धारा 20)
यदि अधिकारी जानबूझकर सूचना नहीं देता, तो ₹250 प्रतिदिन के हिसाब से ₹25,000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
व्यावहारिक सुझाव
- RTI आवेदन में स्पष्ट और संक्षिप्त भाषा का प्रयोग करें।
- धारा 4 के तहत स्वप्रकाशित सूचनाओं को पहले देखें शायद RTI की ज़रूरत ही न पड़े।
- अपील की प्रक्रिया को समझें ताकि अस्वीकृति की स्थिति में अधिकारों का प्रयोग कर सकें।
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